नो बॉल

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पहली अप्रैल की सुबह जब उठा तो किसी को अप्रैल फूल बनाने का मन नहीं किया – वेस्ट इंडीज ने तो एक रात पहले ही हमारे साथ अप्रैल फूल मना लिया था | मन खिन्न था, जबकि एक दिन पहले जब उठा था तो मन क्रिस गेल के छक्कों की तरह हवा में उड़ रहा था – अकाउंट क्लोजिंग के दिन वेस्ट इंडीज का खाता बंद करने का मानो विश्वास सा था |

ऑफिस से कैसे समय पर निकलेंगे – इसकी योजना बन चुकी थी ; वैसे सबको पता था कि आज मैच है और मैच के दिन तो बॉस भी वानखेड़े के पिच की तरह बल्लेबाज़ी ( ऑफिस समय पर छोड़ने ) के लिए अनुकूल हो जाते हैं – आखिर उन्हें भी तो मैच देखना होता है |

पर चौबीस घंटे में ही कितना कुछ बदल गया | आज न तो वो सारी योजनायें बनाता हुआ दिमाग है और न वो कल का उल्लास – मानो किसी ने 99 पर बोल्ड कर दिया हो | आज से फिर वही नीरस सिंगल्स और डबल्स वाली जिंदगी शुरू ; हालांकि आईपीएल शुरू होने वाला है पर उसमे कोहली के कवर ड्राइव जैसा रस कहाँ | फिर से अगले विश्व कप का इंतज़ार करना पड़ेगा – उम्मीद है कि धवन के फॉर्म से जल्दी आ जाएगा | ये विश्व कप तो हमने कैच कर ही लिया था – पर उफ़! तीसरे अंपायर ने नो बॉल करार कर के हमे आउट कर दिया | हाय रे नो बॉल !!!!!!!

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