PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया!

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भारत – श्रीलंका मैच की थी वो रात |

तारीख सन २०१४ के अप्रैल की थी सात ||

अंकलेश्वर की सरज़मीं को था छुआ |

आगाज़ एक नए सफ़र का था हुआ ||

प्रथम सप्ताह तो था अत्यंत ही कष्टमय |

गेस्ट हाउस मिला नहीं और घर न मिलने का था भय ||

सोचा था धीरे धीरे काम का घोडा चलेगा |

क्या पता था की आते ही नौकरी.कॉम का हथौड़ा पड़ेगा ||

अभी तो डाटा एंट्री का चक्रव्युह समझ में न था आया |

ऊपर से BASF ऑडिट ने अपने जाल में था फंसाया ||

PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया…………………….

हमने बड़े प्यार से एक जूनियर रखने का था आग्रह कराया |

औ उतने ही प्यार से चौहान साहब ने उस आग्रह को था टरकाया ||

टूटे हुए दिल को हमने किसी तरह था मनाया |

और चीजों को बदलने का बीड़ा था उठाया ||

PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया………………………..

PI में आते ही पहली बार विदेश जाने का था मौका आया |

वहीं पहली बार सीनियर्स का विजन थोड़ा थोड़ा था समझ में आया ||

Manufacturing सैक्टर में अनुभव न होना थोड़ा काम में था आड़े आया |

पर सभी के सहयोग ने नैया को था पार लगाया ||

PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया………………………..

उन दिनों रिक्रूटमेंट का था बड़ा दबाव आया |

न चाहते हुए भी थोड़ा सा रिक्रूटमेंट था हमने कराया ||

ट्रेनिंग एंड डेव्लपमेंट का क्षेत्र था हमें भाया |

और उसमें हमने था बहुत दिमाग चलाया  ||

इसके अलावा PMS, Employee Engagement वगैरह से था कॉन्फ़िडेंस पाया |

परिणामस्वरूप पिछले साल था प्रमोशन पाया ||

PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया………………………..

उस समय बहुत सारे नए initiative पर था काम करवाया |

और अंशिका के आगमन ने डाटा एंट्री का था बोझ घटाया ||

“Success Factor” की success से था ऐसा भ्रम आया |

कि appraisals जल्दी होंगे लेकिन ये न हो पाया ||

PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया………………………..

ढाई साल का समय हो गया व्यतीत |

कहीं हार हुई तो कहीं हुई जीत ||

खट्टी मीठी यादों का है गुलदस्ता सजाया |

और आप सबसे अलविदा कहने का समय आया ||

PI में काम कर के बड़ा मज़ा आया|| ||

This poem was recited by me in farewell of PI Industries where I worked for 2.5 years.