क्रिकेट का महाकुंभ- 2019

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30 मई क्षितिज पर है और सूरज की पहली किरण अपने साथ डेढ़ महीनों तक चलने वाले इस उत्सव के आगमन का पैगाम ले कर आएगी | यह विश्व कप एक दिवसीय विश्व कप के संस्करणों का बारहवाँ अध्याय है जिसे अंग्रेजों की सरजमीं पर पाँचवी बार आयोजित किया जा रहा है | तो, यदि ये कहा जाये की कप की “घर – वापसी ” हो रही है तो ये तकनीकी तौर पर गलत न होगा | पर मजे की बात ये है कि विश्व कप का आयोजन कहीं भी हो – इंग्लैंड से ये हमेशा Brexit ही रहा है अर्थात ये आंग्ल टीम के लिए बिहारी की उस चंचला नायिका का प्रतीक है जो अपनी अदाओं से रीझाती तो बहुत है पर हाथ कभी आती नहीं | इंग्लैंड तीन मर्तबा फ़ाइनल तक का सफर तय कर चुकी है पर कभी वेस्ट-इंडीज़ तो कभी ऑस्ट्रेलिया उस के राह का रोड़ा बन गए | इस विश्व कप में उसकी दावेदारी बहुत ही मजबूत है और हो भी क्यों न – पिछले दो वर्षों में उसने अपनी सरजमीं पर मात्र 4 मैच गवाएं है | उनकी बैटिंग देख के तो यही कहने का मन करता है – “पेट्रोल खतम ही नहीं होंदा है | ” दूसरी टीम जो हर बार खिताब की प्रबल दावेदार के रूप में उतरती है पर कभी भी “Iron Throne” पर नहीं बैठ पाती वो है दक्षिण अफ्रीका | इतनी अच्छी टीम , इतने अच्छे खिलाड़ी लेकिन जैसे ही मौका आता है – विपक्षियों को आखिरी मुक्का मार के धूल चटाने का – ये कर्ण के माफिक अपनी सारी विद्या भूल जाते हैं – जरूर इन्हे किसी परशुराम ने श्राप दिया हुआ है अन्यथा कोई ठोस वजह नजर नहीं आती इनके औसत प्रदर्शन की | इस संस्करण में भी ये दोनों अपनी सैन्य वाहिनी के साथ विपक्षियों के मान-मर्दन का प्रयास करेंगी |

अभी तक के 11 विश्व – कप में विजेता रही टीमें – ऑस्ट्रेलिया ( 5 बार) , भारत ( 2 बार) , वेस्ट-इंडीज़ ( 2 बार), श्रीलंका और पाकिस्तान में से वेस्ट-इंडीज़ तो अपनी चमक पूर्णतया खो चुका है | इस में बहुत सारे ऑल-राउंडर और मास्टर ब्लास्टर हैं पर पैनापन बिलकुल भी नहीं – किसी तरह गिरते पड़ते इन्होने विश्व कप में क्वालिफ़ाई किया है | श्रीलंका भी जयवर्धने और संगाकारा के प्रस्थान के बाद पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहा है | पाकिस्तान ने भी पिछले दो वर्षों में बहुत अच्छे परिणाम नहीं दिये हैं और अपने प्रदर्शन से कुछ खास करने की आशा नहीं जगाती है  – हालांकि इसी टीम ने इंग्लैंड में ही हुए चैम्पियन ट्रॉफी में दो साल पहले जीत हासिल की थी पर सेमी फ़ाइनल तक का सफर इसके लिए मुश्किल ही है |

अब बच जाती हैं दो पूर्व विजेता टीमें जिसमे से ऑस्ट्रेलिया तो अलादीन के जिन्न की माफिक अचानक से प्रकट हो गई है और हर बार की तरह कप की प्रबल दावेदार बन गई है – स्मिथ तथा वार्नर की वापसी ने इस टीम को अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी मजबूती दे दी है | जिस प्रकार से इसने हालिया सम्पन्न एकदिवसीय शृंखला में भारत को भारत की ही मिट्टी पर 3-2 से धूल चटाई थी, उससे इसके खिलाड़ियों में गज़ब का आत्मविश्वास आ गया है |

भारतीय दल ने विगत दो वर्षों में जिस निरंतरता के साथ प्रदर्शन किया है वो अभिभूत करने वाला है | आश्चर्य तो ये है कि ये कमाल भारत की परंपरागत ताकत रहे बल्लेबाजी की वजह से नहीं आया है वरन बूमराह, कुलदीप और भुवनेश्वर जैसे गेंदबाजों की वजह से आया है | जिस टीम में भुवनेश्वर जैसे विश्व-स्तरीय गेंदबाज का स्थान पक्का न हो , उसकी गेंदबाजी के स्तर का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं | भारतीय दल यदि ये फ़ार्म जारी रखती है तो किसी भी टीम के लिए ये किला तोड़ पाना “मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है|” किन्तु यक्ष प्रश्न ये है कहीं हम अपना बेहतर प्रदर्शन पीछे छोड़ के तो नहीं आए और ऊपर से आईपीएल के व्यस्त कलेण्डर ने हमारे खिलाड़ियों को थका तो नहीं दिया है |

इसके अलावा न्यूज़ीलैंड ने भी केन विलियमसन के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन किया है – पिछली बार ये कप जीतने के काफी करीब पहुंचे भी थे और अगर ये अपनी क्षमता के अनुरूप खेले तो तो सेमी फ़ाइनल तक पहुँचने के इनके आसार प्रबल हैं |

एक टीम जिसका जिक्र बहुत जरूरी है वो है अफगानिस्तान- इस टीम ने पिछले चार सालों में बहुत प्रगति की है | यद्यपि सेमी फ़ाइनल प्रवेश की उम्मीद करना अभी बेईमानी होगा पर , 2-3 अच्छी टीमों को अगर हरा दे तो ये तुक्का मत समझिएगा | बांग्लादेश के बहुत बाद इसने विश्व स्तर पर पदार्पण किया है पर उससे बहुत आगे निकल गई है |

मेरे हिसाब से जो चार दल सेमी फ़ाइनल तक पहुँचने चाहिए , वो हैं – भारत,इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका | उसके बाद का सफर तो उस दिन-विशेष के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा

सबसे अच्छी बात जो इस विश्व कप के साथ है , वो है इस का स्वरूप – जिसमे सारी टीमें एक दूसरे से भिड़ेंगी और 4 सर्वश्रेष्ठ टीम सेमी फ़ाइनल में प्रविष्ट होंगी | ऐसा स्वरूप इससे पहले सिर्फ एक बार 1992 में देखा गया था और उसे अभी तक का सबसे उम्दा विश्व कप माना जाता है | पाकिस्तान किसी तरह गिरते – पड़ते विजेता बना था और भारत का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक था किन्तु खुशी की बात ये थी कि भारत ने पाकिस्तान को विश्व कप में हराने का सिलसिला जो उस समय शुरू किया था, वो आज भी जारी है |

तो 30 मई आपके बालकनी से झांक रहा है | सभी टीमों ने डेरा दाल दिया, कुरुक्षेत्र सज चुका है, दुदुंभी बजने वाली है , रणबांकुरे कवच पहन चुके हैं और हम “संजय” के माध्यम से इस चमत्कारिक दृश्य – विधान देखने के लिए तैयार हैं | “Winter……Oops World Cup is Coming”!!!!!!